गर्भावस्था के तीसरे हफ्ते में होता है भ्रूण का विकास | Fetal development takes place in the third week of pregnancy
गर्भावस्था के तीसरे हफ्ते में महिला को दूसरे सप्ताह के मुकाबले ज्यादा बदलाव दिखाई देते हैं। इन बदलावों और लक्षणों को कई बार महिलाएं पहचान नहीं पातीं। हालांकि नए तरह के अनुभवों से महिला को बहुत कुछ जानने का मौका मिलता है।
यही कारण होता है कि कुछ महिलाओं को अपने गर्भास्थ होने की देर से जानकारी हो पाती है। तीसरा हफ्ता भ्रूण विकास में काफी मददगार होता है। इस सप्ताह में अंडा ओवरी से पूरी तरह बाहर आने वाला होता है। दूसरे हफ्ते में ओवरी में अंडे बनकर बाहर आने की तैयारी में होते हैं, लेकिन तीसरे हफ्ते में ये पूरी तरह बाहर आ जाते हैं। और सोनोग्राफी के माध्यम से यह पता चल सकता है कि कितने अंडे बने हैं यानी महिला एक बार में कितने बच्चों को जन्म देने वाली है। इस लेख के जरिए जानिए, गर्भावस्था के तीसरे हफ्ते के बारे में विस्तार से-
तीसरे सप्ताह के लक्षण
- कोई भी महिला तीन हफ्ते बाद अपनी आखिरी महावारी के अंतिम दिन से गर्भधारण कर सकती हैं यानी गर्भाधारण हुआ है या नहीं का पता लगाने के लिए अंतिम महावारी की तारीख याद रखना आवश्यक होता है।
- तीसरे सप्ताह में गर्भवती महिला के गर्भ में अंडा ओवरी से निकल कर फेलोपियन ट्यूब्स से होते हुए यूटरेस मे चला जाता है यदि इंटरकोर्स ओव्युलेशन पीरियड यानी महावारी के अंतिम दिन से आगे के 14 दिनों में किया जाए तो गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है।
- शरीरिक संबंध (इंटरकोर्स) के दौरान आपके साथी के शरीर से लाखों स्पर्म निकलते हैं, लेकिन उनमें से कोई एक ही अंडे को फर्टीलाइज़ करता है।
- तीसरे सप्ताह में भ्रूण एक सेल क्लस्टर होता है जो आने वाले दिनों में निरंतर विकास करता है।
- तीसरा सप्ताह गर्भावस्था का सबसे अहम पड़ाव है। इस पड़ाव के बाद 265 दिन बाद आपकी दुनिया में एक खूबसूरत शिशु कदम रखता है।
- तीसरे हफ्ते में भ्रूण एक छोटी सी गोली जैसा होता है, लेकिन यह हर दिन विकास करता रहता है।
कुछ महिलाओं को तीसरे सप्ताह में गर्भवती होने के बारे में पता चलता है। ऐसे में उन्हें इस समय को खोना नहीं चाहिए क्योंकि यह वह समय है जब भ्रूण महिला के शरीर में लगातार विकास कर रहा होता है। - तीसरे सप्ताह में यदि आप सिनेग्राफी के जरिए भ्रूण को देखेंगी तो पाएंगी कि वह किसी मानवीय रूप में नहीं बल्कि छोटे-छोटे सेल्स में है। हालांकि इस सप्ताह में भ्रूण बहुत छोटा होता है।
- भ्रूण शु्क्राणुओं और अंडाणुओं यानी गुणसूत्रों के संयोजन से बनता है। तीसरे सप्ताह में भ्रूण अंडे में परिवर्तित हो जाता है तो इसमें 9 सेल्सन बचते है।
- तीसरे सप्ताह में यदि गर्भवती महिला स्वस्थ है तो उसमें आम लक्षण जैसे सिर दर्द होना, थकान महसूस होना, बार-बार भूख लगना, मितली आना और उल्टियां होना आदि होती है।
- कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है गर्भवस्था के दौरान ऐसी महिलाओं को अधिक तकलीफ होती है और वह बार-बार बीमार पड़ जाती हैं। कुछ महिलाएं ऐसे मौकों पर कुछ घातक वायरस की चपेट में आ जाती हैं।
- इस दौरान यदि आपको कोई समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर सलाह लेनी चाहिए, जिससे किसी भी बड़ी परेशानी से बचा जा सकें।
तीसरे सप्ताह में आहार
- गर्भावस्था के दौरान सही खानपान न करने से कई बीमारियां भी हो सकती हैं इसीलिए कुछ भी खाने से पहले साफ-सफाई बहुत जरूरी है।
- भ्रूण की विकास प्रक्रिया के दौरान गर्भवती को अच्छा खान-पान करना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे को भी भोजन मिलता है।
- कच्चा या अधपका मीट खाने से कई बीमारियां हो सकती हैं। हालांकि डॉक्टर अधिकतर गर्भवती महिलाओं को मांस- मछली न खाने की सलाह देते हैं।
- बिना धुले साग-सब्जी या फल खाने से कई वायरस गर्भवती महिला और भ्रूण के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं।
- गर्भधारण के बाद डॉक्टर, मटन, चिकन, मछली और घोंघा आदि खाने से मना करते हैं, क्योंकि इनसे शरीर में कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इससे गर्भवती महिला और भ्रूण दोनों को खतरा हो सकता है।
- गर्भवती महिलाओं को कच्चा अंडा न खाने की सलाह दी जाती है। साथ ही सलाद और आइसक्रीम इत्यादि में कच्चे अंडे को नजरअंदाज करना चाहिए।
- समुद्री मछलियां जैसे शार्क और मैकेरल मछली आदि भी गर्भावस्था के दौरान नहीं खानी चाहिए।
- गर्भवती महिला को न सिर्फ अपना बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु का भी खलाल रखना जरूरी होता है। इसलिए किसी भी तरह के खानपान या कोई नया काम करने से पहले डॉक्टर से मशविरा अवश्य कर लें।
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