माहवारी पर रोजमर्रा के दस चीजों का असर | Effect of 10 things during Menstruation

वैसे तो समय पर माहवारी या पीरियड (Menstruation) समय पर न होना कोई बड़ी समस्‍या नहीं है, लेकिन कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी गंभीर समस्‍याओं का कारण बन सकती है कई महिलाएं पीरियड्स में बदलाव जैसे भारी, हल्‍का या लगातार कम होने की समस्‍या से जूझ रही हैं। लेकिन शर्म या संकोच के कारण इस समस्‍या के बारे में किसी से बात नहीं करतीं। वैसे तो माहवारी अपने समय से एक सप्ताह ऊपर निचे होना आम बात है, लेकिन कई बार यह किसी स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी गंभीर या अन्य समस्‍याओं का कारण बन सकती है। इसलिए इसके कारणों के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। और इसके कारण आपको अपनी रोजमर्रा में होने वाली चीजों में देखने को मिल जायेगा।
तनाव –
तनाव या टेंसन का माहवारी के लिए जिम्‍मेदार हार्मोंन एस्‍ट्रोजन और प्रोजेस्‍टेरोन पर सीधा असर पड़ता है। जिससे ब्लीडिंग में अनियमितता आती है और माहवारी चक्र अनियमित होने लगता है। इस समस्‍या को आप योग और ध्यान के माध्‍यम से कम कर सकती हैं।
अत्‍यधिक व्यायाम –
अधिक एक्‍सरसाइज से हॉर्मोनल संतुलन में बदलाव आने लगता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन आपकी मासिक धर्म प्रक्रिया को सामान्य रखता हैं और जरूरत से ज्यादा व्यायाम से एस्ट्रोजन की संख्या में वृद्घि होने से पीरियड्स में बदलाव आने लगता है।
बीमारियां और दवायें –
कुछ बीमारियां और दवायें भी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवर पर असर डालती हैं। दवा ऑव्युलेशन की प्रक्रिया को भी प्रभावित करती हैं। अगर आपकी कोई बीमारी इर्रेगुलर पीरियड्स का कारण बनती है, तो आपको चिकित्‍सक की सलाह लेनी चाहिए।
खान पान का असर –
आपके आहार से भी माहवारी प्रभावित होती है। कई बार हम अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ा देते हैं, जिससे शरीर में हार्मोंन के स्‍तर में परिवर्तन आने लगता है। इसका असर आपकी माहवारी पर पड़ने लगता है और वह अनियमित हो जाती हैं।
शराब पीना –
शराब सेवन और शराब पीने पर नेशनल इंस्टिट्यूट के अनुसार, शराब का अत्‍यधिक सेवन लीवर और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाकर, नियमित मासिक धर्म चक्र का कारण बनता है। शराब अस्थायी रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि कर देता है, जिससे ओवुलेशन के लिए आवश्यक सामान्य हार्मोनल उतार चढ़ाव बाधित हो जाता है।
पीसीओएस –
पीसीओएस(PCOS) ओवरी में सिस्‍ट और उसके कारण सही समय पर माहवारी का न आना पीसीओएस कहलाता है। हार्मोन में जरा सा भी बदलाव मासिक धर्म चक्र पर तुरंत असर डालता है। चेहरे पर बाल उग आना, मुंहासे होना, पिगमेंटेशन, अनियमित रूप से माहवारी आना, यौन इच्छा में अचानक कमी आ जाना, गर्भधारण में मुश्किल होना, आदि कुछ ऐसे लक्षण हैं। यह समस्‍या लगभग 10 प्रतिशत महिलाओं को प्रसव उम्र में प्रभावित करती है।
थायरॉयड –
थायरॉयड के कारण भी मासिक धर्म असामान्‍य हो जाता है, इसके कारण पीरियड्स चक्र पर असर पड़ता है। ऐसे में खून की जांच करा लेना ठीक रहता है, जिससे असामान्य मासिक स्राव के सही कारण का पता चल जाता है।
थकान –
थकान भी अनियमित माहवारी के लिए जिम्‍मेदार होता है। भोजन, पानी और आराम की कमी से मासिक धर्म चक्र प्रभावित होता है। इसलिए अनियमित माहवारी की समस्‍या से बचने के दिन भर की गतिविधियों में से अपने लिए पर्याप्‍त समय निकालें और भरपूर नींद लें।
संक्रमण –
वैसे तो संक्रमण आपके मासिक चक्र और हार्मोंन के स्‍तर को प्रभावित नहीं करता है लेकिन यह ब्‍ल‍ीडिंग का कारण बनकर मासिक को सामान्‍य से अधिक बार ला सकता है। बैक्टीरियल संक्रमण, श्रोणि सूजन बीमारी, और यौन संचारित संक्रमण गर्भाशय के अंदर सूजन और खून को पैदा कर सकता है।
आफिस कार्य –
महिलाओं पर हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो महिलाएं रात और शाम की शिफ्ट में काम करती हैं, उनमें अनियमित और उतार चढ़ाव के रूप में मासिक धर्म की समस्याओं का खतरा अन्‍य महिलाओं की तुलना में लगभग 33 प्रतिशत अधिक होता है।
Mahak

Mahak

Mahak is a dedicated government employee working in the medical department, with a passion for writing. She was born and raised in Uttar Pradesh, India. She has been writing short stories, Women, Elder care, Child Care and poems since she was a child, and has continued to hone her skills over the years. Her writing has been published in several literary magazines and anthologies.

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