दूध में मौजूद प्रोटीन और विटामिन त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं बेहद उपयोग के चलते माताओं के मन में यह बैठ जाता है की बच्चों दूध को दूध पिलाना हैं, चाहे बच्चे दूध हजम करें या उल्टी करे, वे किसी तरह से दूध पिला ही देती है फिर भी बच्चों में कैल्शियम की कमी, लम्बाई ना बढना, इत्यादि समस्याएँ देखने में आती है दूध पीने के कुछ नियम ये भी है –
- नवजात शिशु के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम हैं।
- एक या दो वर्ष के बच्चें अन्य भोजन लेना शुरू कर देते जैसे रोटी, चावल, सब्जियां तब उन्हें अनाज में मौजूद कैल्शियम प्राप्त होने लगता है अब वे कैल्शियम के लिए सिर्फ दूध पर निर्भर नहीं होते हैं।
- सुबह नाश्ते में दूध लिया जा सकता है, दोपहर में छाछ क्योकि दही की प्रकृति गर्म होती है, जबकि छाछ की ठंडी।
- रात में दूध पीये पर बिना शक्कर के क्योंकि दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास होती है जो हम शक्कर डाल देने के कारण अनुभव ही नहीं कर पाते, हो सके तो गाय का घी १- २ चम्मच डाल के ले।
- बोर्नविटा, कॉम्प्लान या होर्लिक्स अनाज से अच्छे नहीं होते, इनके लुभावने विज्ञापनों का कभी भरोसा मत करिए, बच्चों को खूब चने , दाने , सत्तू , मिक्स्ड आटे के लड्डू एवं रोटी खिलाए।
- जर्सी या दोगली गाय से भैंस का दूध बेहतर है।
- दही अगर खट्टा हो गया हो तो भी दूध दही ना मिलाये अधजमे दही का सेवन ना करे।
- दूध के साथ नमक ना डाले, सूप में आटा भिगोने के लिए दूध इस्तेमाल ना करे।
- दालों के साथ दही का सेवन विरुद्ध आहार माना जाता है, अगर करना ही पड़े तो दही को हिंग जीरा की छौक दे कर उसकी टेस्ट बदल कर सेवन करें।
- गाय, भैंस के अलावा बकरी का दूध पीना बच्चों एवं बड़ो के लिए सेहतमंद है।