Stubborn Kids: बच्चों का जिद्दी (Stubborn) होना बहुत आम है। लेकिन उनका हद से ज्यादा और बात-बात पर जिद करना गलत है। इस तरह से उनके व्यवहार में जिद करने की आदत शामिल होती जाएगी। जिसका नकारात्मक (Negative) असर आगे चलकर बच्चे के भविष्य (Future) पर भी पड़ सकता है। इसलिए इससे बचने के लिए माता-पिता को बच्चों की जिद करने की आदत को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। इस article द्वारा हम अपने कुछ अनुभव शेयर कर रहे है जिनसे माता-पिता क्या ज़िद्दी stubborn बच्चों के आदत में सुधार कर सकते हैं आइये जानते हैं-
बच्चों पर चिल्लाएं नहीं–
अगर आपके बच्चे जिद्दी हैं तो आप उन पर चीखें-चिल्लाएं या मारें नहीं बल्कि उन्हें प्यार से हैंडल करें, आपके शांत रहने पर बच्चे भी कम react और ज्यादा शोर नहीं करेंगे और जिससे आप उनको सही और गलत के बीच में फर्क समझा सकेंगे।
बहस न करें–
अगर आप हर बात पर बच्चों से बहस करते हैं, तो जिद्दी बच्चों को बहस करने की आदत हो जाती है, इससे वो बहस और लड़ाई करने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं, इसलिए उनको बहस करने का मौका न दें और उनकी हर बात wrong और right को ध्यान से सुनें। जब आप बच्चों की बात पर ध्यान देने लगेंगे तो वो भी आपकी बात पर ध्यान देने की कोशिश करेंगे और जिद कम करेंगे।
बच्चों के मन की बात समझें–
बच्चों के मन की बात को उन्ही के तरीके समझने की कोशिश करें। कई बार बच्चे अपनी बात कह नही पाते या माता-पिता समझ नहीं पाते है तब भी ऐसा होता है की बच्चे माता-पिता का attantion अपनी ओर खींचने के लिए भी जिद करते हैं। हो सकता है कि आपके बच्चे को किसी बात से दिक्कत दे रही हो और वो आपसे कह नहीं पा रहा हो, इसलिए बच्चों पर निगाह रखें और उनकी activities को देखकर उसे समझने की कोशिश करें और अपने बातों को आसानी से कहने के लिए उन्हें easy रखें।
नियम बनायें–
life में rules बहुत जरुरी होते है। rules जिद्दी बच्चों को समझाने और उनको deal करने के लिए जरूरी है। बच्चों को समझाएं कि rules तोड़ने पर उन्हें क्या नुकसान हो सकता है। आप लगातार बच्चे को नियम और अनुशासन में रखेंगे तो बच्चे का जिद्दीपन कुछ हद तक कम होगा। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि नियम और अनुशासन बहुत ज्यादा सख्त न हो।
बच्चों को बोलने का मौका दें–
बच्चों पर केवल अपनी बात या decision न थोपें, बल्कि उनको भी बोलने का मौका दें। अगर आप उनको बोलने का मौका देंगे, तो वह भी आपको सुनने की कोशिश करेंगे। साथ ही बच्चे अपनी बातें भी शेयर करेंगे। सुनने, समझने और समझाने से बच्चों के साथ हेल्दी रिलेशन बना रहता है।
ध्यान देने योग्य बातें –
इस article में लिखी हुई जानकारी अथवा सुचना अनुभव पर आधारित (experience based) है, इन पर अमल (fllow) करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें|