बुढ़ापा एक समय जब 60 पार करते ही मौत का भय लोगों को सताने लगता था। लेकिन अब तो बुढ़ापे के इस उम्र को भी लोग पूरी मस्ती से इंज्वाय कर रहे हैं और लंबी जिंदगी जी रहे हैं। हर आठ सकेंड में 10 हजार लोग 65 की उम्र में पहुंच रहे हैं और 80 साल से उपर तक हेल्दी जिंदगी जी रहे हैं।
अगर बुढापे में डॉक्टर के पास नहीं जाना है तो जवानी मे हीं आपको अपने जीवनशैली को बदलने की फैसला लेना पड़ेगा। जो सेहतमंद बुढ़ापे का सही मूल मंत्र है। सेहत को बरकरार रखने के लिए हेल्दी आदतों की रुटीन को अगर आप नियमित रुप से जिंदगी भर पालन करते हैं तो बुढ़ापा आपको कभी खलेगी नहीं। आइए जानते क्या हैं हेल्दी आदतें और कैसे बनाए रखें बुढ़ापे में भी सेहत को तंदरुस्त,
गतिशील रहें (Be active)-
खुद को फिट रखने के लिए हमेशा कुछ न कुछ करते रहें। जिससे आपका मन भी लगा रहेगा और साथ ही इससे सेहत भी बनी रहेगी। शरीर का संतुलन बना रहेगा। इतना ही नहीं दिल भी सेहतमंद रहेगा। शारीरिक मेहनत करने से वजन कंट्रोल में रहेगा, बिमारियां दूर भागेगी, नींद अच्छी आएगी, तनाव कम होगी और हमेशा तंदरुस्त महसूस करते रहेंगे। इसके लिए आप नियमित रुप से व्यायाम और योग करते रहें।
नशा और धूम्रपान को कहें ना-
कैंसर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट के फेल हो जाने से जितनी भी मौत होती है उसकी एक सबसे बड़ी वजह नशा है।स्मोकिंग से त्वचा पर जल्द ही झुर्रियां आने लगती है और त्वचा में लचीलापन नहीं रहता है। इतना ही नहीं स्मोकिंग से यौन शक्ति भी प्रभावित होती है। अगर आपने नशा नहीं करने का कदम सही समय पर उठा लिया तो समझे कि बुढ़ापे की जिंदगी खुशहाली में कटेगी।
हेल्दी और पोषक आहार खाएं-
अगर आप अपने भोजन में सही मात्रा में पोषक तत्व नियमित रुप से ले रहे हैं तो ये आपको जीवन भर सेहतमंद रखेंगे। अगर आप अपने खाने की आदत में बदलाव लाते हैं तो दिल की बीमारी, उच्च रक्त चाप, डायबिटीज, ऑस्टीयोपोरेसिस समेत कई बीमारियों से बचे रहेंगे। अमेरिकन डायबेटिक एसोसिएशन के शोध से पता चला है कि जहां बुजुर्ग अपने खाने में कई तरह के पोषक आहार का सेवन करते हैं वहां मौत की दर कम रही है।
बुजुर्गों को फल-सब्जी, अनाज, दाने प्रोटीन और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद खाने से हार्ट अटैक, कैंसर समेत कई तरह की बिमारियां बुढ़ापे में परेशान नहीं करती है। इससे हड़्डी और मांसपेशियां भी मजबूत रहती है।
वजन पर नियंत्रण रखें-
ज्यादा वजन होने पर दिल की बीमारी, डायबिटीज, उच्च रक्त चाप समेत कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है। हमेशा बीएमंआई (बॉडी मास इंडेक्स) कैलकुलेटर से यह पता लगाते रहें कि आपके शरीर के हिसाब से वजन सही है कि नहीं।
गिरने से बचें-
उम्र बढ़ने के साथ साथ हड्डियां भी कमजोर होने से शरीर का संतुलन बिगड़ जाती है जिससे गिरने का ज्यादा खतरा बना रहता है। हमेशा ध्यान रहे कि घर की फर्श गीली नहीं हो, कारपेट सही से बिछा हुआ हो। बाथरुम में बुजुर्गों को गिरने का खतरा ज्यादा रहता है। बाथरुम और गलियों में रात में लाइट नहीं होने से ज्यादा गिरने का घटनाएं होती है।
एक खास बात और नंगे पाव चलने से गिरने की संभावना ज्यादा रहती है। बुजुर्गों को ऐसे जूते या सैंडल पहने रहना चाहिए जिससे शरीर को संतुलन मिलती रहे और सपोर्ट भी मिले।
हेल्थ स्क्रीनिंग से अपडेट रहें-
पचास पार करते ही औरतों को स्तन कैंसर की जानकारी के लिए मैमोग्राफी स्क्रीनिंग करानी चाहिए। पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर की स्क्रीनिंग करानी चाहिए। इसके अलावे भी गंभीर बीमारी से बचाव के लिए समय-समय पर जांच और टीकाकरण कराते रहना चाहिए। खासकर रेनल, लीवर, थायराइड, डायबिटीज और ब्लड प्रोफाइल की जांच।
आँख-कान, दांत की नियमित जाँच कराएं-
आपके दांत और मसूढ़े अंतिम समय तक आपका साथ देंगें अगर आप इनका सही देखभाल करते हैं। नियमित ब्रश करना और मसूढ़ों की सफाई करना हमारे आदत में शुमार होनी चाहिए। बावजूद इसके 50 के बाद दांतो की शिकायत होने लगती है। इसके लिए दांतो का चेकअप रेगुलर कराएं। आँखों की रोशनी भी कम होने लगती है। नजदीक की चीज और छोटे अक्षरों को देखना-पढ़ना मुश्किल हो जाता है। आंखों की रेगुलर चेकअप कराते रहना चाहिए ताकि सही पावर का लेंस आपको दी जा सके।
तनाव को भगाने का प्रबंधन करें-
तनाव और अवसाद बुढ़ापे की सबसे खराब बीमारी है। यह आपको अंदर से खोखला कर देती है। तनाव और अवसाद से मुक्ति के लिए ध्यान और योग करें। सकारात्मक कामों में अपने को व्यस्त रखें ताकि कोई टेंशन आपको परेशान नहीं करे।
दोस्त बनाएं और सामाजिक कामों में रुचि रखें-
सक्रिय जिंदगी यानि नौकरी से रिटायर होने के बाद अकेलापन बूढ़ों को काफी खलता है। ऐसे में फिट रहने और अकेलापन को दूर भगाने के लिए बुजुर्गों को अपना सामाजिक दायरा बढ़ाना चाहिए। समाज और मोहल्ले में बतियाने और सुख-दुख बांटने के लिए नए-नए दोस्त बनाना चाहिए।
चैन की नींद सोएं-
साठ की उम्र के बाद प्राय बुजुर्गों को नींद में परेशानी होने लगती है। किसी-किसी को इंसोमेनिया की शिकायत हो जाती है तो कोई रात में सही से नहीं सोने पर दिन में सोते रहते हैं। अच्छी नींद नहीं लेने से सेहत पर गंभीर असर पड़ता है।