नींद लेने से शरीर और दिमाग दोनों को सुकुन तथा आराम मिलता है। गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई प्रकार परिवर्तन होते हैं जिसके कारण गर्भवती महिला के शारीरिक तथा मानसिक स्थिति के साथ साथ उसे थकान और उलझन भी होती है, अगर ऐसे में उसे सही नींद मिलें तो उसके शरीर पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा और गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास भी सही ढंग से हो पाएगा। सामान्य गर्भावस्था में नौ महीने का समय लगता है, इस दौरान पेट का आकार और शरीर की संरचना में परिवर्तन हो जाता है। बढ़ते पेट एवं थकान की वजह से महिलाओं को सोने में दिक्कत होती है। महिलाएं उल्टी होकर नहीं सो सकती हैं और न ही वो पेट पर जोर देने वाली स्थिति में सो सकती हैं।
गलत सोने से
गर्भवती महिलाओं द्वारा जरा सा भी गलत स्थिति में सोने पर बच्चे की स्थिति बिगड़ सकती है। महिलाओं की योनि का आकार भी इस दौरान बढ़ जाता है जिसकी वजह से उलझन और असुविधा होती है। साथ ही स्तन में दूध बनाने के लिए प्रोलैक्टिन सेरम नामक हारमोन्स स्त्रावित होने लगता है, जिसकी वजह से स्तनों में भारीपन आ जाता है। ऐसे में महिला के शरीर का सामने वाला हिस्सा काफी असुविधाजनक हो जाता है और इस वजह से नींद भी अच्छे से नहीं आती है। पेट पर जोर देकर सोने से भ्रूण पर जोर पड़ता है और उसके विकास में बाधा आती है।
सीधे सोये
गर्भवती महिलाओं को सीधे सोना चाहिए और यही उनके लिए सबसे अच्छी स्थिति होती है। गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए यूट्रस की वजह से आंत पर जोर पड़ता है और महिला को उल्टी आती है, कई बार सांस लेने में दिक्कत भी होती है। पेट में भार होने की वजह से कमर में दर्द होना भी स्वाभाविक है। अगर कमर में बहुत दर्द होता है तो हल्का सा तिरछा सोया जा सकता है, या फिर तकिये पर पेट टिका के सोये जाने से आराम मिलेगा।
एक ही स्थिति में सोने से
लेकिन अगर एक ही स्थिति में महिला सो जाएं तो एक प्रकार का दबाव शरीर में बन जाता है और वाहिकाओं में रक्त के प्रवाह पर असर पड़ता है और ह्दयगति भी बदल जाती है। ऐसे में बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। कमर के बल पूरा जोर लगाकर सोना सही नहीं है। गर्भवती महिला को किसी एक ओर हल्की करवट से सोना चाहिए। इससे उसे किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी।
बाईं करवट सोने से
चूकिं हमारा हार्ट लेफ्ट साइड होता है ऐसे में बाएं ओर करवट लेकर सोना सबसे ज्यादा सही रहता है। इससे पेट पर भी ज्यादा जोर नहीं पड़ता, हार्ट बीट भी सही रहती है और ब्लड़प्रेशर भी कंट्रोल रहता है। सोने में आराम तथा बच्चे को भी सुविधा रहती है।