बुजुर्ग हमारे बड़े हमारी नींव, हमारे जीवन के स्रोत जिन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय, सोच, तथा सपने हम पर न्यौछावर कर दिया, उनके देखभाल के लिए सबसे जरुरी है कि उनसे प्यार करें, उनका सम्मान करें और इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उन्हें हमेशा सक्रिय और फिट रखें। घर पर आप कई तरीके से बुजुर्गों का देखभाल कर सकते हैं।
जैसे – थोड़ा समय निकाल कर और थोड़ी मेहनत कर आप अपने दादा-दादी, नाना-नानी या फिर मम्मी-पापा के बूढ़े चेहरे पर मुस्कान ला सकते हैं। इसके लिए बस आपको तीन बातों का ख्याल रखना पड़ेगा-
शारीरिक देखभाल, मानसिक या भावनात्मक देखभाल और सबसे ज्यादा उनके गुस्से और विरोध को सहने की क्षमता। घर पर बूढ़ों की देखभाल तथा हमारा उनके प्रति कर्तव्य कैसा हो, यह हमारे संस्कारों से तय होता है। मां-बाप, दादा-दादी, नाना-नानी, और बच्चों के बीच के आपसी संबंध भी यह तय करते हैं कि परिवार में बूढ़ों की स्थिति कैसी होगी। बूढ़ों की देखभाल का अर्थ है, उनकी शारीरिक और भावनात्मक ज़रूरतों को पूरा करना।
बुजुर्गों की शारीरिक देखभाल के लिए टिप्स
1. घर पर उनकी सुरक्षा का रखें ख्याल
घर पर आपके माता-पिता, दादा-दादी या नाना -नानी कैसे सुरक्षित रहेंगे, इसका पुख्ता इंतजाम रखें। घर और बाहर दोनों ही जगह आजकल बुजुर्गों के साथ हिंसा हो रही है। तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल कर आप बुजुर्गों की सुरक्षा कर सकते हैं। घर में सीसीटीवी और अगर वो बाहर जा रहे हैं तो जीपीएस ट्रैकर से आप उनके हर एक गतिविधि पर नजर रख सकते हैं।
2. उन्हें हमेशा एक्टिव और फिट रखें
घर के बड़े-बुजुर्ग सेहत से जितना तंदरुस्त और फिट रहेंगे यह उनके लिए और परिवार के लिए भी अच्छा रहेगा। व्यायाम और योग उनके दिनचर्या में शामिल हो इसके लिए उन्हें प्रेरित करते रहें। इससे न सिर्फ शारीरिक बीमारियां दूर भागी रहेगी बल्कि अकेलापन और अवसाद भी कम होगा।
डॉक्टरों की मानें तो 60 से ज्यादा उम्र के लोगों को रोजाना 30 मिनट व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। इसमें टहलना, जॉगिंग करना, स्वीमिंग करना, साइकिल चलाना से लेकर योग और कसरत तक शामिल है।
3. शारीरिक और मानसिक सेहत पर नजर रखें
अगर उनको दर्द हो रहा है या किसी तरह की मेडिकल मदद की जरुरत है तो पहले प्राथमिक चिकित्सा करें और इससे भी स्थिति में सुधार नहीं हो तो बिना कोई देर किए डॉक्टर के पास या अस्पताल ले जाएं।
कमजोरी ज्यादा महसूस करना, भूलने की शिकायत ज्यादा होना, रास्ता भूल जाना और चलने-बैठने में संतुलन खो देना जैसे कुछ जरुरी शारीरिक और मानसिक बदलाव पर हमेशा नजर बनाए रखें।
बुजुर्गों के मानसिक सेहत को हम प्राय: नजरअंदाज कर देते हैं जबकि मानसिक बीमारी में ही देखभाल की ज्यादा जरुरत होती है। खासकर अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारी होने पर उन्हें पल-पल एक गाइड और केयरटेकर की जरुरत होती है।
4. ड्राइविंग में मदद करें
बुढापे में उनको कार ड्राइविंग से मना करना ठीक नहीं हैं। हो सकता है वो विरोध करें, आपसे रुठ जाएं या फिर ज्यादा गुस्से से लाल हो जाएं। आप तो उनके सेहत का ख्याल रखते हुए ड्राइविंग से मना किए, मगर यह उन्हें बुरा भी लग सकता है। अगर वो फिट हैं तो याद रहे ड्राइविंग करने से वो खुद को काफी रिलैक्स और आजाद महसूस करेंगे। हालांकि बुजुर्गों के लिए महानगरों में अलग से ड्राइविंग स्कूल भी हैं।
5. वित्तीय मामलों पर बात करें और परामर्श लें
आप जिनसे प्यार करते हैं उनसे उनके वित्तीय जरुरत और बीमा संबधी मामलों में खुलकर बातचीत करें। अगर आप भी कोई निवेश करना चाहते हैं तो बुजुर्गों का दिया अनुभव काफी काम आएगा। इससे उनको लगेगा कि आप उनकी अहमियत समझते हैं। उनके पेंशन निकासी, बिल के भुगतान, आदि मामलों में भी मदद करें।
6. कानूनी मामलों में बात करें और सलाह लें
वसीयत, पॉवर ऑफ अटार्नी समेत ऐसे कई कानूनी मामलों में आप माता-पिता से बेहिचक बात करें। उन्हें सलाह भी दें और उनसे सलाह भी लें। इससे रिश्ते में खुलापन आएगा और असहमति के रास्ते बंद होंगे। अगर उन्हें किसी अच्छे वकील या फिर कानूनी सलाह की जरुरत है तो यह सेवा उन्हें उनके मन के मुताबिक उपलब्ध कराएं।
7. उनके साथ बैठ कर खाएं और उनके लिए खाना बनाएं
घर में हो सके तो उनके साथ ही बैठ कर खाना खाएं, इससे उनको अकेलापन नहीं सालेगा और रिश्तों में मिठास आएगी। कभी-कभी हो सके तो उनके रुचि और मन का ख्याल रखते हुए उनके लिए अच्छी डिश पकाएं और उन्हें अपने हाथों से परोंसे।
बुजुर्गों की मानसिक और भावनात्मक देखभाल
बुजुर्गों का सम्मान करें
- उन्हें कभी भी किसी बात या व्यवहार से ठेस नहीं पहुंचाएं।
- उनके अकेलेपन को दूर करने के लिए उन्हें क्लब में जानें दें, नए दोस्त बनाने दें और उनकी सामाजिक सक्रियता को बढाने में मदद करें
- उन्हें स्वेच्छा से काम करने के लिए प्रेरित करें। शोध से पता चला है कि जो बुजुर्ग अपने मन और स्वेच्छा से काम करते हैं वो ज्यादा खुश और सेहतमंद रहते हैं।
- उन्हें लंबे समय तक अकेला कहीं नहीं छोड़ें। अगर आपके माता-पिता ओल्ड एज होम में रहते हैं तो समय-समय पर उनसे मिलने जाएं और उनसे खुल कर बात करें।
- उनके अनुभव और कहानी को ध्यान से सुनें। हो सकता है उनके सुनाए गए कहानी से आपको अपने जीवन की किसी परेशानी को हल करने का सही जबाव मिल जाए। कहते हैं न बुजुर्गों का अनुभव ज्ञान का खजाना होता है।
- उनके गुस्से और विरोध को सहने की क्षमता रखें। कभी भी असहमति में बोले गए आपके स्वर इतने तल्ख न हों कि उनके दिल को ठेस पहुंच जाए।
ध्यान रखें, हमारी गलतियों को सबसे ज्यादा माफ़, हमारी खुशियों के लिए सबसे ज्यादा त्याग, हमारे दर्द में सबसे ज्यादा आंसू तथा हमारी खुशियों में सबसे ज्यादा खुश कोई रहा है तो वो हमारे बुजुर्ग माता – पिता, नाना – नानी या दादा – दादी ही है। हम उन्हें जितना प्यार सम्मान या ध्यान देंगे ये एक छोटा सा तोहफा होगा उनके लिए जिन्होंने हमारे लिए बड़ी बड़ी खुशिया शायद छोड़ दी होगी।