गर्भावस्था, पूरे नौ महीने की अवधि इस दौरान गर्भवती महिला कई सारे अनुभव होते हैं। उसके पेट मे तरह तरह के हलचल होती है, इस दौरान गर्भवती महिला को अलग-अलग स्वाद की चीजें भी पसंद आती हैं। इन सब के बीच गर्भवती महिला अपने गर्भ में पल रहे अपने बच्चे की सूरत की कल्पना करती रहती है।
लेकिन इससे भी हटकर पेट में बहुत कुछ होता है। गर्भाशय में पलने वाले बच्चे में गर्भावस्था के दौरान कुछ अद्भुत चीजें भी होती हैं जिन्हें जानकर आप काफी आश्चर्यचकित होगे।
लेकिन इससे भी हटकर पेट में बहुत कुछ होता है। गर्भाशय में पलने वाले बच्चे में गर्भावस्था के दौरान कुछ अद्भुत चीजें भी होती हैं जिन्हें जानकर आप काफी आश्चर्यचकित होगे।
1. उनकी याददाश्त-
एक शोध के मुताबिक, गर्भ में पलने वाले बच्चे को सब सुनाई देता है जिससे उसकी यादें जुड़ जाती हैं। अगर गर्भावस्था के दौरान बच्चे को कोई विशेष संगीत या लोरी सुनाया जाएं, तो जन्म के बाद वह उस गाने को सुनकर शांत हो जाता है।
2. स्वाद विकसित होना-
बाल रोग अध्ययन में कहा गया है कि महिलाएं, अगर तीसरे तिमाही के दौरान अधिक गाजरों का सेवन करती हैं तो उनके बच्चे को जन्म के बाद भी गाजर ज्यादा पसंद आती है, उन बच्चों के तुलना में, जिनकी माताओं ने गाजर का सेवन न किया हो या कम किया हो।
3. सुनने की शक्ति का विकास होना-
बच्चे के जन्म से पूर्व भारत में सभी धर्मो में गर्भसंस्कार करवाया जाता है जिसके पीछे का कारण, बच्चे में सुनने की शक्ति का विकास होने पर उसे अच्छे संस्कार देकर सभी के साथ सम्बंध स्थापित करना होता है ताकि बच्चा, सभी की आवाज को पहचान सकें। फ्लोरिडा की यूनीवर्सिटी में एक अध्ययन किया गया, अगर माता अपने बच्चे को कोई विशेष मंत्र या आवाज सुनाती है तो भ्रुण की हद्य गति धीमी हो जाती है और बच्चा शांत हो कर सुनता है। लेकिन जब वही मंत्र या आवाज कोई और सुनाता है तो बच्चे को कोई फर्क नहीं पड़ता है।
4. तनाव पर प्रतिक्रिया देना-
गर्भ में पलने वाला बच्चा, मां के तनावग्रस्त होने पर परेशान होता है और प्रतिक्रिया देता है। इस विषय पर दो अध्ययनों को किया गया, लैकास्टर और दुरहम ने इस बारे में अध्ययन किया और गर्भवती मां पर बाएं हाथ से चेहरे को ढांकने का प्रयोग किया, जिसके बाद बच्चा प्रतिक्रियास्वरूप मां को सांस लेने पर मजबूर कर देता है और उसे आराम मिल जाता है।
5. बच्चे व्यक्त करते हैं-
दुरहम और लैकास्टर ने अपने अध्ययन में साबित किया है कि 24 सप्ताह का बच्चा, मुस्काराना सीखने लगता है और 36वें सप्ताह में उसकी भौं भी चलने लगती है, जिससे वो गर्भ में ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना शुरू कर देते है।